मोहम्मद बबलू, मोहम्मद अफसाद और मोहम्मद मुशर्रफ। ये वो नाम हैं जो शनिवार की शाम तक जिंदा थे। आंखों में अपने अपने संघर्ष, सपने और संकटों को लिए जी रहे थे। ये बिहार में अपने गांवों से हजार किलोमीटर का सफर तय करके दिल्ली के एक कारखानों में हर रोज 12 से 15 घंटों तक काम कर रहे थे।
ये जहां काम करते थे, वहीं जगह बनाकर सो जाते थे। जितना कमाते थे, उसमें से अधिकतम हिस्सा अपने गांव भेज देते थे ताकि ये अपने मां-बाबा और बच्चों को दो वक्त की रोटी दे सकें। लेकिन रविवार सुबह दिल्ली की अनाज मंडी में लगी आग में इन चार युवाओं समेत 40 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो गई।